Devendra Jhajhadiya Biography Medals Achievements टोक्यो पैरालंपिक में हैट्रिक पर नज़र

By | August 26, 2021

Devendra jhajhadiya Biography medals achievements Tokyo Paralympic latest news has been given on this page. Today we have discuss about Devendra Jhajhadiya Personal Life, Professional & their Family Biography and Medal Achievements also. टोक्यो ओलिंपिक-2020 में शानदार प्रदर्शन के बाद लोगों में इसका जोश अभी भी दिखाई दे रहा है। ओलम्पिक के बाद अब पैरालंपिक पर देश और देश के लोगों की नज़र है। जहाँ जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने देख को गोल्ड दिलाया है उसी तरह पैरालंपिक के देवेंद्र झाझरिया पिछले दो बार देश को गोल्ड दिला चुके हैं और अब तीसरी बार गोल्ड जीतकर हैट्रिक बनाने की तैयारी में हैं। आइये जानते हैं उनके बारे में।

Latest Update:- राजस्थान के पैरालंपियन : देवेंद्र झाझड़िया
2004 में मेरे पापा अकेले विदा करने आये थे,आज पीएम सीधे बात करते है। 

जैवलिन मेरी लाइफ है, जिस दिन सामान्य श्रेणी में डिस्ट्रिक्ट चैंपियन बना लगा ओलिंपिक मैडल जीत लिया, सोचा अब कोई कमजोर नहीं कहेगा
दो बार के पैरालम्पिक
चैंपियन देवेंद्र झाझड़िया और उनके परिवार के साथ बात की पीएम मोदी ने 

एथेंस-रियो जैसे विश्वास के साथ टोक्यो में थ्रो कर गोल्डन हैट्रिक बनाऊंगा : देवेंद्र 

Devendra Jhajhadiya Biography

देवेन्द्र झाझड़िया Devendra Jhajhadiya का जन्म 10 जून 1981 में राजस्थान के एक गाँव झाझारियन की धानी, रतनपुरा पंचायत, राजगढ़ तहसील, जिला चुरू में हुआ था। इनके पिता का नाम राम सिंह झाझड़िया, एवं माता जीवनी देवी है। वे एक सामान्य बच्चे की तरह पैदा हुए थे, जो अपने बचपन को पूरी तरह जी रहे थे। लेकिन 8 साल की उम्र में उनके साथ एक हादसा हो गया जिससे उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ आया। दरअसल, बचपन में जब वह पड़ोसी बच्चों के साथ लुका-छिपी खेल रहे थे, तो छुपने के चक्कर में एक पेड़ पर चढ़ गये, जहां उन्होंने गलती से 11, 000 वोल्ट के करंट वाले एक तार को छू लिया, जिससे वो बेहोश हो कर ज़मीन पर आ गिरे। ऐसे में डॉक्टरों ने उनकी जान तो बचा ली, पर उन्हें अपना बायां हाथ खोना पड़ा।

Devendra Jhajhadiya Biography :- इस पर भी देवेंद्र ने हार नहीं मानी बल्कि उन्होंने एक ऐसा खेल अपनाया, जिसमें “केवल एक हाथ ही लगता हो”। ऐसे में उन्हें काफी उपहास और आलोचना का सामना भी करना पड़ा। इन्ही सब को देखते हुए उन्होंने एक हाथ से भाला फेंकना शुरू किया और उन्होंने अपना पहला भाला बांस से बनाया।

24 अगस्त से शुरू होने वाले टोक्यो पैरालंपिक के लिए उत्साहित देवेंद्र ने बताया कि जब 2004 में पहला पैरालंपिक खलेने जा रहा था तब केवल मेरे पिता थे जिन्होंने मुझे शुभकामनाओं के साथ विदा किया। वहीं अभी वर्त्तमान की बात करें तो भारत सरकार ने पैरालंपिक खिलाडियों के लिए विदाई पार्टी राखी है। उन्होंने बताया कि आज यही बदलाव देखकर बहुत ख़ुशी होती है। साथ ही ये जानकारी भी दी कि फ़िलहाल टोक्यो पैरालंपिक के लिए प्रैक्टिस और प्रदर्शन दोनों ही बहुत अच्छी तरह से चल रहे हैं। जिस विश्वास के साथ उन्होंने एथेंस और रिओ में जेवलिन थ्रो किया था उसी विश्वास के साथ वो इस बार भी स्वर्ण जीतने की पूरी तैयारी में हैं।

Devendra Jhajhadiya Biography

Biography of  Devendra Jhajhadiya

Name Devendra  Jhajhadiya
Birth Date 10th June 1981
Birth Place Churu, Rajasthan
Mother & Father Shree Ram Singh Jhajhadiya & Jeevni Devi
Sport Javelin Athlete
Wife Manju Devi (National Player)
Children Jiya Daughter & Kavyaan Son
Coach Sunil Tanwar

दो स्वर्ण पदक के विजेता

Devendra Jhajharia ने भारत के लिए 2 पैरालंपिक स्वर्ण जीते हैं और पद्मश्री पाने वाले पहले एथलीट बने हैं। देवेंद्र झाझरिया ने भाला फेंक में विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। देवेंद्र ने अपना पहला स्वर्ण 2004 में एथेंस पैरालिंपिक में और दूसरा 2016 में रियो पैरालिंपिक में जीता था। बता दें, साल 2016 में भारत ने केवल 19 एथलीट्स पैरालंपिक में भेजे थे, लेकिन यह भारत के इतिहास का सबसे सफल पैरालंपिक रहा था। इसी में भारत ने 2 स्वर्ण, 1 रजत और 2 कांस्य सहित 4 पदक जीते थे। इस बार भारत से 54 पैरा खिलाड़ी ले रहे हैं हिस्सा और इसकी शुरुआत 24 अगस्त से होने वाली है जो 5 सितम्बर तक चलेगा।

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Indian Athlete Javelin Awards

  • सन 2004 में खेल के बड़े पुरुस्कार ‘अर्जुन अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।
  • सन 2012 में देवेन्द्र को देश के चौथे बड़े सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया। यह पहला मौका था जब किसी पैरालिम्पिक खिलाड़ी को ये सम्मान दिया गया था।
  • सन 2014 में FICCI पैरा-खिलाड़ी स्पोर्ट्समैन ऑफ़ दी इयर का ख़िताब देवेन्द्र को दिया गया।
  • सन 2005 में राजस्थान सरकार द्वारा देवेन्द्र झाझडिया को ‘महाराणा प्रताप पुरुस्कार’ से सम्मानित किया गया था। खेल के लिए राजस्थान में ये सबसे बड़ा अवार्ड है। इस अवार्ड के साथ 10 हजार की नगद राशि भी दी गई थी।
  • देवेन्द्र के पास 4 पैरालिम्पिक मैडल है, जिसमें 2 गोल्ड, 1 सिल्वर एवं 1 ब्रोंज मैडल है।

देवेंद्र झाझरिया की Achievements in Javelin 

देवेंद्र ने अब तक के अपने जीवन काल में कई पुरस्कार जीते हैं। दो बार के पैरालंपिक के स्वर्ण पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया ने भाला फेंक में अपना ही विश्व रिकॉर्ड तोडा था। बता दें, भारत के सबसे महान पैरालिंपियन, झाझरिया ने नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय चयन ट्रायल के दौरान 65।71 मीटर की दूरी पर भाला फेंका। उन्होंने थ्रो में 2016 में रियो में बनाए गए 63।97 मीटर के अपने ही विश्व रिकॉर्ड को तोडा और उसे और भी बेहतर बनाया।

  • 40 वर्षीय देवेंद्र ने पैरालिंपिक में पुरुषों की F-46 श्रेणी में दो स्वर्ण पदक जीते हैं। 24 अगस्त से शुरू होने वाला टोक्यो पैरालंपिक झझरिया का तीसरा पैरालिंपिक होगा। उन्होंने 2004 एथेंस पैरालंपिक खेलों में 62।15 मीटर का नया विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता था।
  • इसके बाद उन्होंने 12 साल बाद 2016 के रियो संस्करण में 63।97 मीटर के थ्रो के साथ अपने ही रिकॉर्ड को बेहतर करते हुए पैरालिंपिक में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए।
  • साल 2004 में देवेंद्र को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वहीं 2012 में पद्मश्री और 2016 में खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • देवेन्द्र ने सन 2002 में पहली बार अन्तराष्ट्रीय खेल में हिस्सा लिया। उन्होंने एशियन गेम्स, भूटान, साउथ कोरिया में हिस्सा लिया। यहाँ देवेन्द्र को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने जीवन का पहला गोल्ड मैडल मिला।
  • साल 2014 में FICCI की ओर से Para-Sportsperson of the Year का ख़िताब मिला।

देवेंद्र झाझरिया करोडो दुआएं साथ लेकर 24 अगस्त को टोक्यो पैरालम्पिक रवाना होंगे। वहां पर उनकी नजर गोल्ड के हैट्रिक करने पर होगी। आप भी अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते है।

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