राजस्थान के मकराना में बनने वाला मकराना मार्बल की अब डिमांड विदेशों में भी हो रही है। जी हाँ, राम मंदिर, ताजमहल और संसद जैसी प्रसिद्द जगहों में इस्तेमाल होने वाला राजस्थान का पत्थर अब विदेशों में भी लोकप्रिय हो रहा है, जिससे इसकी मांग अब काफी बढ़ चुकी है। बता दें, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में बनने वाला Australia Jain Temple Derasar जैन देरासर मंदिर में भी इसी पत्थर का इस्तेमाल होने वाला है।
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में सबसे बड़ा जैन देरासर बनाया जा रहा है, जो नागौर के मकराना के मार्बल से तैयार होगा। बताया जा रहा है, ऑस्ट्रेलिया का यह सबसे बड़ा जैन मंदिर (Australia Jain Temple Derasar) होगा। इस मंदिर के निर्माण में करीब तीन साल के समय का लक्ष्य रखा गया है। जानकारी दे दें, कि मकराना मार्बल को राम मंदिर, ताज महल और संसद के नए भवन में भी इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा श्रीराम मंदिर के शिल्पकार सोमपुरा समाज ने जैन देरासर को डिजाइन किया है, जिसकी तस्वीर भी सामने आई है।
सोमपुरा समाज के प्रसिद्द शिल्पकार राजेश सोमपुरा ने बताया कि मेलबर्न में तैयार हो रहा जिनालय 72 फुट लंबा, 55 फुट ऊंचा और 54 फुट चौड़ा होगा। वहीं इस देरासर की उम्र 1000 वर्ष बताई जा रही है। इस खास निर्माण के लिए गुजरात से 600 से अधिक कारिगर मेलबर्न भेजे जाएंगे। देरासर में राजस्थान के मकराना का 1500 टन शुद्ध मार्बल का उपयोग किया
जाएगा। मकराना मार्बल और शिलाओं सहित निर्माण सामग्री गुजरात से जलमार्ग द्वारा भेजी जाएगी। खास बात ये है कि इस देरासर के निर्माण में लोहे-सीमेंट का प्रयोग नहीं होगा। इस लिए ये और भी ख़ास होने वाला है।Bajrang Punia- Indian Freestyle Wrestler Biography
भू गर्भ शास्त्रियों और पत्थर के जानकारों का ये मानना है कि मकराना का मार्बल विश्व में सबसे पुराना व सबसे बेहतरीन किस्म का है। यह 90 प्रतिशत शुद्ध कैल्शियम कार्बोनेट है, जिसमें पानी की सीपेज बिल्कुल नहीं होती, जिसके कारण ही इस पत्थर का चुनाव किया गया है। तय किये हुए डिजाइन के अनुसार, शिल्पकार रात-दिन काम कर रहे हैं। 30 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो गया है। मेलबर्न जैन संघ के प्रमुख नीतिन जोशी ने बताया कि परम पूजनीय जगवल्लभसूरीश्वरजी महाराज की मौजूदगी में 4 अगस्त को देरासर का शिलान्यास हो चुका है, इसके अलावा 21 शिलाओं का भी पूजन हुआ।
यह देरासर पूरे आस्ट्रेलिया में पहला और सबसे ऊंचा शिखरबद्ध देरासर होगा जो बनने वाला है। बताया गया है कि इससे पहले बंशीपुर पहाड़ी मे निकले गए राम मंदिर में इस्तेमाल हो रहा है। वहीं पुरानी संसद और ताजमहल में भी राजस्थान का ही पत्थर इस्तेमाल किया गया है। राजस्थान के इन खास पत्थरों के बारे में कहा जाता हैं कि यह नक्काशी के लिए अच्छा होता है, जिसके कारण ही इनसे बनाये गए महलों कि शोभा बढ़ती है।
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